हैदर क़ुरैशी के शेर
मौत से पहले जहाँ में चंद साँसों का अज़ाब
ज़िंदगी जो क़र्ज़ तेरा था अदा कर आए हैं
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वस्ल की शब थी और उजाले कर रक्खे थे
जिस्म ओ जाँ सब उस के हवाले कर रक्खे थे
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दिल को तो बहुत पहले से धड़का सा लगा था
पाना तिरा शायद तुझे खोने के लिए है
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टैग : दिल
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दरख़्तों पर परिंदे लौट आना चाहते हैं
ख़िज़ाँ-रुत का गुज़र जाना ज़रूरी हो गया है
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चाँद बन कर चमकने वाले ने
मुझ को सूरज-मिसाल कर डाला
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पानी में भी चाँद सितारे उग आते हैं
आँख से दिल तक वो ज़रख़ेज़ी हो जाती है
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