मुस्तफ़ा ज़ैदी के शेर
आँख झुक जाती है जब बंद-ए-क़बा खुलते हैं
तुझ में उठते हुए ख़ुर्शीद की उर्यानी है
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जिस दिन से अपना तर्ज़-ए-फ़क़ीराना छुट गया
शाही तो मिल गई दिल-ए-शाहाना छुट गया
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उतरा था जिस पे बाब-ए-हया का वरक़ वरक़
बिस्तर के एक एक शिकन की शरीक थी
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यूँ तो वो हर किसी से मिलती है
हम से अपनी ख़ुशी से मिलती है
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टैग : मुलाक़ात
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मत पूछ कि हम ज़ब्त की किस राह से गुज़रे
ये देख कि तुझ पर कोई इल्ज़ाम न आया
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मिरी रूह की हक़ीक़त मिरे आँसुओं से पूछो
मिरा मज्लिसी तबस्सुम मिरा तर्जुमाँ नहीं है
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टैग : आँसू
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इश्क़ इन ज़ालिमों की दुनिया में
कितनी मज़लूम ज़ात है ऐ दिल
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कोई हम-नफ़स नहीं है कोई राज़-दाँ नहीं है
फ़क़त एक दिल था अपना सो वो मेहरबाँ नहीं है
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हम अंजुमन में सब की तरफ़ देखते रहे
अपनी तरह से कोई अकेला नहीं मिला
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टैग : तन्हाई
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हम ने तो लुट के मोहब्बत की रिवायत रख ली
उन से तो पोछिए वो किस लिए पछताते रहे
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रूह के इस वीराने में तेरी याद ही सब कुछ थी
आज तो वो भी यूँ गुज़री जैसे ग़रीबों का त्यौहार
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मैं किस के हाथ पे अपना लहू तलाश करूँ
तमाम शहर ने पहने हुए हैं दस्ताने
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मेरे नग़्मात की तक़दीर न पहुँचे तुझ तक
मेरी फ़रियाद की क़िस्मत कि तुझे छू आई
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ख़ुदा करे कि तिरे हुस्न को ज़वाल न हो
मैं चाहता हूँ तुझे यूँही उम्र-भर देखूँ
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टैग : हुस्न
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ख़ुद अपने शब-ओ-रोज़ गुज़र जाएँगे लेकिन
शामिल है मिरे ग़म में तिरी दर-बदरी भी
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दिल के रिश्ते अजीब रिश्ते हैं
साँस लेने से टूट जाते हैं
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कोई रफ़ीक़ बहम ही न हो तो क्या कीजे
कभी कभी तिरा ग़म ही न हो तो क्या कीजे
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टैग : ग़म
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वो इक तिलिस्म था क़ुर्बत में उस के उम्र कटी
गले लगा के उसे उस की आरज़ू करते
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टैग : आरज़ू
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नावक-ए-ज़ुल्म उठा दशना-ए-अंदोह सँभाल
लुत्फ़ के ख़ंजर-ए-बे-नाम से मत मार मुझे
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इक मौज-ए-ख़ून-ए-ख़ल्क़ थी किस की जबीं पे थी
इक तौक़-ए-फ़र्द-ए-जुर्म था किस के गले में था
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तुझ से तो दिल के पास मुलाक़ात हो गई
मैं ख़ुद को ढूँडने के लिए दर-ब-दर गया
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इस तरह होश गँवाना भी कोई बात नहीं
और यूँ होश से रहने में भी नादानी है
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ग़म-ए-दौराँ ने भी सीखे ग़म-ए-जानाँ के चलन
वही सोची हुई चालें वही बे-साख़्ता-पन
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तितलियाँ उड़ती हैं और उन को पकड़ने वाले
सई-ए-नाकाम में अपनों से बिछड़ जाते हैं
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आँधी चली तो नक़्श-ए-कफ़-ए-पा नहीं मिला
दिल जिस से मिल गया वो दोबारा नहीं मिला
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टैग : दिल
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इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ
मिरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है
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