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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Shafiq Jaunpuri's Photo'

शफ़ीक़ जौनपुरी

1902 - 1963 | जौनपुर, भारत

शफ़ीक़ जौनपुरी के शेर

जला वो शम्अ कि आँधी जिसे बुझा सके

वो नक़्श बन कि ज़माना जिसे मिटा सके

फ़रेब-ए-रौशनी में आने वालो मैं कहता था

कि बिजली आशियाने की निगहबाँ हो नहीं सकती

इश्क़ की इब्तिदा तो जानते हैं

इश्क़ की इंतिहा नहीं मालूम

तुझे हम दोपहर की धूप में देखेंगे ग़ुंचे

अभी शबनम के रोने पर हँसी मालूम होती है

गया था एक दिन लब पर जफ़ाओं का गिला

आज तक जब उन से मिलते हैं तो शरमाते हैं हम

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