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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

बिजली पर शेर

आसमान में कड़कने वाली

बिजली को उसकी अपनी तीव्रता, कर्कश और तेज़ चमक के गुणों के आधार पर कई सूरतों में रूपक के तौर पर इस्तेमाल किया गया है। बिजली का कौंधना प्रेमिका का मुस्काराना भी है। इसमें भी वही चमक और जला देने की वही तीव्रता होती है और उसके भाँती हिज्र भोग रहे आशिक़ के नालों से भी है। शाएरी में बिजली का विषय कई और अनिवार्यता के साथ आया है। उसमें आशियाँ और ख़िर्मन मूल अनिवार्यता हैं. बिजली की मूल भूमिका आशियाँ और खिर्मन को जलाना है। इन शब्दों से स्थापित होने वाला मज़मून किसी एक सतह पर ठहरा नहीं रहता बल्कि उसकी व्याख्या और समझने के अनगिनत स्तर हैं।

बिजली गिरेगी सेहन-ए-चमन में कहाँ कहाँ

किस शाख़-ए-गुलिस्ताँ पे मिरा आशियाँ नहीं

सलाम संदेलवी

क़फ़स की तीलियों में जाने क्या तरकीब रक्खी है

कि हर बिजली क़रीब-ए-आशियाँ मालूम होती है

सीमाब अकबराबादी

बिजली चमकी तो अब्र रोया

याद गई क्या हँसी किसी की

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

अब बिजलियों का ख़ौफ़ भी दिल से निकल गया

ख़ुद मेरा आशियाँ मिरी आहों से जल गया

अज्ञात

डरता हूँ आसमान से बिजली गिर पड़े

सय्याद की निगाह सू-ए-आशियाँ नहीं

मोमिन ख़ाँ मोमिन

उट्ठा जो अब्र दिल की उमंगें चमक उठीं

लहराईं बिजलियाँ तो मैं लहरा के पी गया

एहसान दानिश

लहू से मैं ने लिखा था जो कुछ दीवार-ए-ज़िंदाँ पर

वो बिजली बन के चमका दामन-ए-सुब्ह-ए-गुलिस्ताँ पर

सीमाब अकबराबादी

फ़रेब-ए-रौशनी में आने वालो मैं कहता था

कि बिजली आशियाने की निगहबाँ हो नहीं सकती

शफ़ीक़ जौनपुरी

बर्क़ ने मेरा नशेमन जलाया हो कहीं

सहन-ए-गुलशन में उजाला है ख़ुदा ख़ैर करे

ख़लिश अकबराबादी

मुमकिन नहीं चमन में दोनों की ज़िद हो पूरी

या बिजलियाँ रहेंगी या आशियाँ रहेगा

अज्ञात

तड़प जाता हूँ जब बिजली चमकती देख लेता हूँ

कि इस से मिलता-जुलता सा किसी का मुस्कुराना है

ग़ुलाम मुर्तज़ा कैफ़ काकोरी

इधर फ़लक को है ज़िद बिजलियाँ गिराने की

उधर हमें भी है धुन आशियाँ बनाने की

अज्ञात

ये अब्र है या फ़ील-ए-सियह-मस्त है साक़ी

बिजली के जो है पाँव में ज़ंजीर हवा पर

शाह नसीर

ज़ब्त-ए-नाला से आज काम लिया

गिरती बिजली को मैं ने थाम लिया

जलील मानिकपूरी

क़फ़स से आशियाँ तब्दील करना बात ही क्या थी

हमें देखो कि हम ने बिजलियों से आशियाँ बदला

महज़र लखनवी

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