aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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वजीह सानी

ग़ज़ल 11

अशआर 2

कोई दवा भी नहीं है यही तो रोना है

सद एहतियात कि फैला हुआ क्रोना है

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'सानी' फ़क़त तुम्हारा लिखा जिन ख़ुतूत पर

वो तो कभी के ज़ाएद-उल-मीआ'द हो गए

 

चित्र शायरी 1

 

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