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सैफ़ महमूद

Urdu Mein Tanz-o-Mizah | Jashn-e-Rekhta 4th Edition 2017

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आज के चुनिन्दा 5 शेर

आज का शब्द

तजल्ली

  • tajallii
  • تجلی

शब्दार्थ

radiance/ brilliance

एक ऐसी भी तजल्ली आज मय-ख़ाने में है

लुत्फ़ पीने में नहीं है बल्कि खो जाने में है

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क्या आप जानते हैं?

नस्तालीक़ वह सुंदर लिपि है जिसमें उर्दू लिखी जाती है जो चौदहवीं व पंद्रहवीं शताब्दी में ईरान में बनाई गई थी।"नस्ख़" वो लिपि है जिसमें आम तौर पर अरबी लिखी जाती है और उसी तरह "तालीक़" एक फ़ारसी लिपि है। नस्ख़ और तालीक़ दोनों मिलकर "नस्तालीक़" बन गए। उर्दू में शिष्ठ और सभ्य लोगों को भी "नस्तालीक़" कहा जाता है अर्थात बहुत निर्मल और साफ़ तबियत का मालिक।

क्या आप जानते हैं?

सारा

सारा शगुफ़्ता आधुनिक दौर की पाकिस्तानी शायरा थीं। 1947 में भारत के बटवारे में उनका परिवार पंजाब से कराची चला गया। उनका जीवन परिश्रम और बलिदान से भरा हुआ था। एक ग़रीब और अनपढ़ परिवार से अल्लुक़ रखने वाली सारा शगुफ़्ता शिक्षा के माध्यम से समाज में अपना मक़ाम बनाना चाहती थीं, मगर वो मैट्रिक पास न कर सकीं। उनकी शादी 17 साल की उम्र में ही कर दी गई थी, इसके बाद भी तीन शादिया हुईं मगर वो सब भी असफल रहीं।  वो अपने छोटे बेटे की मौत और अपने पति की बेहिसी पर बहुत नाराज़ हुईं। अपने पति और समाज के बुरे बर्ताव की वजह से वो नज़्में कहने लगीं। मगर कुछ दिन के बाद दिमाग़ी रोग से दो-चार हुईं, जिस की वजह से उन्हें मानसिक चिकित्सालय जाना पड़ा। आत्महत्या की कई कोशिशों के बाद सारा शगुफ्ता ने बिल-आख़िर 29 बरस की उम्र में आत्महत्या कर ली। उनके व्यक्तित्व और शायरी को बुनियाद बना कर अमृता प्रीतम ने ''एक थी सारा'' के नाम से किताब लिखी।

क्या आप जानते हैं?

अमीर

उर्दू के पहले उल्लेखनीय सूफ़ी, शायर, संगीत के माहिर हज़रत अमीर खुसरो हैं। उर्दू की पहली ग़ज़ल भी आपकी ही लिखी हुई है। अमीर ख़ुसरो ने उर्दू की विभिन्न विधाओं ग़ज़ल, पहेलियां, गीत आदि में अभ्यास किया। आप ख़्वाजा हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के मुरीद थे उस वक़्त  के बादशाह से भी आप के सम्बंध थे। आपकी क़ब्र हज़रत निज़ामुद्दीन की क़ब्र के बग़ल में है।

क्या आप जानते हैं?

उर्दू में मल्लाह में मांझी या जहाज़ चलाने वाले को कहते हैं। इस शब्द का संबंध अरबी भाषा के शब्द 'मलह' अर्थात नमक से है। चूंकि समुंदर का पानी खारा होता है, पहले तो समुंदर के पानी से नमक बनाने वालों को 'मल्लाह' कहा गया, फिर समुंदर में जाने वालोें को मल्लाह कहा जाने लगा। अब तो मीठे पानी की झील में किश्ती चलाने वाले को भी मल्लाह ही कहते हैं। शब्द 'मलाहत' भी उर्दू में जाना पहचाना है, इसका संबंध भी 'मलह' अर्थात नमक से है यानी सांवलापन, ख़ूबसूरत। बहुत से अश्आर में इसे कई तरीके से बरता गया है।
किश्ती और पानी के सफ़र से संबंधित एक और शब्द उर्दू शायरी में बहुत मिलता है,'नाख़ुदा' जो नाव और ख़ुदा से मिल कर बना है और फ़ारसी से आया है अर्थात किश्ती का मालिक या सरदार:

तुम्हीं तो हो जिसे कहती है नाख़ुदा दुनिया
बचा सको तो बचा लो कि डूबता हूं मैं

क्या आप जानते हैं?

मीर

मीर तक़ी मीर के बारे में आम धारणा यह है कि वह टूटे हुए दिल, दुनिया से परेशान इंसान थे जो दर्द-पीड़ा में डूबे अश्आर ही कहते थे। लेकिन दुनिया की दूसरी चीज़ों के साथ साथ मीर को जानवरों से भी गहरी दिलचस्पी थी जो उनकी मसनवियों और आत्म कथात्मक घरेलू नज़्मों में बहुत ही सृजनात्मक ढंग से नज़र आती है। दूसरे शायरों ने भी जानवरों के बारे में लिखा है लेकिन मीर के अशआर में जब जानवर ज़िंदगी का हिस्सा बन कर आते हैं तो उनमें मानवीय गुणों और विशेषताओं का भी रंग आ जाता है। मीर की मसनवी 'मोहिनी बिल्ली' की बिल्ली भी एक पात्र ही मालूम होती है। 'कुपी का बच्चा' में बंदर का बच्चा भी बहुत हद तक इंसान नज़र आता है। मसनवी 'मोर नामा' एक रानी और एक मोर के इश्क़ की दुखद दास्तान है जिसमें दोनों आख़िर में जल मरते हैं। इसके अलावा मुर्ग़, बकरी आदि पर भी उनकी मसनवियां हैं।
उनकी मशहूर मसनवी 'अज़दर नामा' जानवरों के नाम, उनकी आदतें और विशेषताओं के वर्णन से भरा हुआ है। उसमें केंद्रीय पात्र अजगर के अलावा तीस जानवरों के नाम शामिल हैं। मोहम्मद हुसैन आज़ाद ने लिखा है कि मीर ने उसमें ख़ुद को अज़दहा कहा और दूसरे सभी शायरों को कीड़े मकोड़े माना है, हालांकि उसमें किसी का नाम नहीं लिया गया है।

आज की प्रस्तुति

प्रख्यात पूर्व-आधुनिक शायर, अपने सूफ़ियाना लहजे के लिए प्रसिद्ध।

इक आलम-ए-हैरत है फ़ना है बक़ा है

हैरत भी ये हैरत है कि क्या जानिए क्या है

पूर्ण ग़ज़ल देखें

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ई-पुस्तकें

कुल्लियात-ए-मीरा जी

जमील जालिबी 

1988 महाकाव्य

Lisan-ul-Ghaib

मीर वली उल्लाह 

1923 संकलन

Shumara Number-004

एम. एम. शरीफ़ 

1961 Saqafat Lahore October-1961

Aag Ka Darya

कुर्रतुलऐन हैदर 

1989 नॉवेल / उपन्यास

अच्छी चिड़िया

मोहम्मद शफ़ीउद्दीन नय्यर 

2010 बाल-साहित्य

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