दोस्त पर चित्र/छाया शायरी

शायरी, या ये कहा जाए

कि अच्छा तख़्लीक़ी अदब हम को हमारे आम तजर्बात और तसव्वुरात से अलग एक नई दुनिया में ले जाता है वह हमें रोज़ मर्रा की ज़िंदगी से अलग होते हैं। क्या आप दोस्त और दोस्ती के बारे में उन बातों से वाक़िफ़ है जिन को ये शायरी मौज़ू बनाती है? दोस्त, उस की फ़ित्रत उस के जज़्बात और इरादों का ये शेरी बयानिया आप के लिए हैरानी का बाइस होगा। इसे पढ़िए और अपने आस पास फैले हुए दोस्तों को नए सिरे से देखना शुरू कीजिए।

हम को यारों ने याद भी न रखा

वो कैसे लोग होते हैं जिन्हें हम दोस्त कहते हैं

दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त

वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो

दोस्त दिल रखने को करते हैं बहाने क्या क्या

पत्थर तो हज़ारों ने मारे थे मुझे लेकिन

दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त

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