याद पर चित्र/छाया शायरी

‘याद’ को उर्दू शाइरी

में एक विषय के तौर पर ख़ास अहमिय हासिल है । इस की वजह ये है कि नॉस्टेलजिया और उस से पैदा होने वाली कैफ़ीयत, शाइरों को ज़्यादा रचनात्मकता प्रदान करती है । सिर्फ़ इश्क़-ओ-आशिक़ी में ही ‘याद’ के कई रंग मिल जाते हैं । गुज़रे हुए लम्हों की कसक हो या तल्ख़ी या कोई ख़ुश-गवार लम्हा सब उर्दू शाइरी में जीवन के रंगों को पेश करते हैं । इस तरह की कैफ़ियतों से सरशार उर्दू शाइरी का एक संकलन यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है ।

ख़्वाब में नाम तिरा ले के पुकार उठता हूँ

ये किस अज़ाब में छोड़ा है तू ने इस दिल को

ये किस अज़ाब में छोड़ा है तू ने इस दिल को

तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें

ओ देस से आने वाले बता

वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो

आहटें सुन रहा हूँ यादों की

ज़ब्त कर के हँसी को भूल गया

गुज़र जाएँगे जब दिन गुज़रे आलम याद आएँगे

तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें

किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाए हुए

अब तो उन की याद भी आती नहीं

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