सुकून पर चित्र/छाया शायरी

ज़िंदगी में की जाने

वाली सारी जुस्तुजू का आख़िरी और वसी-तर हदफ़ सुकून ही होता है लेकिन सुकून एक आरिज़ी कैफ़ियत है। एक लमहे को सुकून मिलता भी है तो ख़त्म हो जाता है इसी लिए उस की तलाश का अमल भी मुस्तक़्बिल जारी रहता है। हम ने जिन शेरों का इन्तिख़ाब किया है वो एक गहरे इज़्तिराब और कशमकश के पैदा किए हुए हैं आप इन्हें पढ़िए और ज़िंदगी की बे-नक़ाब हक़ीक़तों का मुशाहदा कीजिए।

सुकून दे न सकीं राहतें ज़माने की

सुकून दे न सकीं राहतें ज़माने की

हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल

ये किस अज़ाब में छोड़ा है तू ने इस दिल को

ये किस अज़ाब में छोड़ा है तू ने इस दिल को

और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा

और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए