उदासी पर चित्र/छाया शायरी

रचनाकार की भावुकता एवं

संवेदनशीलता या यूँ कह लीजिए कि उसकी चेतना और अपने आस-पास की दुनिया को देखने एवं एहसास करने की कल्पना-शक्ति से ही साहित्य में हँसी-ख़ुशी जैसे भावों की तरह उदासी का भी चित्रण संभव होता है । उर्दू क्लासिकी शायरी में ये उदासी परंपरागत एवं असफल प्रेम के कारण नज़र आती है । अस्ल में रचनाकार अपनी रचना में दुनिया की बे-ढंगी सूरतों को व्यवस्थित करना चाहता है,लेकिन उसको सफलता नहीं मिलती । असफलता का यही एहसास साहित्य और शायरी में उदासी को जन्म देता है । यहाँ उदासी के अलग-अलग भाव को शायरी के माध्यम से आपके समक्ष पेश किया जा रहा है ।

हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल

तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे

उठते नहीं हैं अब तो दुआ के लिए भी हाथ

ज़िंदगी काविश-ए-बातिल है मिरा साथ न छोड़

दिल में इक लहर सी उठी है अभी

तुम मिटा सकते नहीं दिल से मिरा नाम कभी

बे-ख़याली में यूँही बस इक इरादा कर लिया

गाहे गाहे बस अब यही हो क्या

आज जाने की ज़िद न करो

हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं

हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं

किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में

मैं हूँ दिल है तन्हाई है

मैं हूँ दिल है तन्हाई है

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