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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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इलाहाबाद पर शेर

इलाहाबाद अपने संगम की

ख़ूबसूरती, अपनी क़दीम तहज़ीबी रिवायतों और मिल-जुल कर रहने के कल्चर की वजह से शायरों के लिए बहुत दिल-चस्प शहर रहा है। इलाहाबाद की इन मुनफ़रिद हैसियतों पर बहुत सी नज़्में भी लिखी गई हैं लेकिन यहाँ हम ग़ज़लों से कुछ शेरों का इन्तिख़ाब आप के लिए पेश कर रहे हैं। इस शहर की याद ताज़ा कीजिए।

या इलाहाबाद में रहिए जहाँ संगम भी हो

या बनारस में जहाँ हर घाट पर सैलाब है

क़मर जमील

असर ये तेरे अन्फ़ास-ए-मसीहाई का है 'अकबर'

इलाहाबाद से लंगड़ा चला लाहौर तक पहुँचा

अकबर इलाहाबादी

कुछ इलाहाबाद में सामाँ नहीं बहबूद के

याँ धरा क्या है ब-जुज़ अकबर के और अमरूद के

अकबर इलाहाबादी

तीन त्रिबेनी हैं दो आँखें मिरी

अब इलाहाबाद भी पंजाब है

इमाम बख़्श नासिख़

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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