aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
Jan Nisar Akhtar & Kaifi Azmi : Do Shayar, Do Zindagiyan, Ek Kahani | 5th Jashn-e-Rekhta 2018
शब्दार्थ
हुआ है शह का मुसाहिब फिरे है इतराता
वगरना शहर में 'ग़ालिब' की आबरू क्या है
"हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है" ग़ज़ल से की मिर्ज़ा ग़ालिब
सबसे गर्म मिज़ाज प्रगतिशील शायर जिन्हें शायर-ए-इंकि़लाब (क्रांति-कवि) कहा जाता है
अलबेली सुब्ह
नज़र झुकाए उरूस-ए-फ़ितरत जबीं से ज़ुल्फ़ें हटा रही है