टॉप 10 रेख़्ता पर शेर

हमें आपको यह बताते हुए

बहुत ख़ुशी हो रही है कि रेख़्ता फ़ाउंडेशन ने दस साल का सफ़र तै कर लिया है। और इस मुक़ाम तक पहुँचने में आपका क़ीमती और प्यार भरा सहयोग बहुत ज़रूरी था। हमने इन दस सालों में सबसे ज़्यादा पसन्द की गयीं ग़ज़लों, शेरों, नज़्मों, और कहानियों का चयन किया है।पढ़िए और जानिए क्या क्या इस चयन में शामिल है।

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो

जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए

बशीर बद्र

और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा

राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए

फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए

अहमद फ़राज़

दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है

लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

जो गुज़ारी जा सकी हम से

हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है

जौन एलिया

हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन

दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है

मिर्ज़ा ग़ालिब

कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब

आज तुम याद बे-हिसाब आए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो

धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है

राहत इंदौरी

इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया

वर्ना हम भी आदमी थे काम के

मिर्ज़ा ग़ालिब

हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम

वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता

अकबर इलाहाबादी

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

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