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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

बांकपन पर शेर

सर पर हवा-ए-ज़ुल्म चले सौ जतन के साथ

अपनी कुलाह कज है उसी बाँकपन के साथ

मजरूह सुल्तानपुरी

सीना फ़िगार चाक-गरेबाँ कफ़न-ब-दोश

आए हैं तेरी बज़्म में इस बाँकपन से हम

सुहैल अज़ीमाबादी

आशिक़ का बाँकपन गया बाद-ए-मर्ग भी

तख़्ते पे ग़ुस्ल के जो लिटाया अकड़ गया

अमीर मीनाई

बदलते वक़्त ने बदले मिज़ाज भी कैसे

तिरी अदा भी गई मेरा बाँकपन भी गया

फ़हीम शनास काज़मी

कभी हुस्न-ओ-मोहब्बत में बन सकी 'वाहिद'

वो अपने नाज़ में हम अपने बाँकपन में रहे

वाहिद प्रेमी

करो कज जबीं पे सर-ए-कफ़न मिरे क़ातिलों को गुमाँ हो

कि ग़ुरूर-ए-इश्क़ का बाँकपन पस-ए-मर्ग हम ने भुला दिया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हमारी गुफ़्तुगू सब से जुदा है

हमारे सब सुख़न हैं बाँकपन के

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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