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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

आँसू पर शेर

आँसू पानी के सहज़ चंद

क़तरे नहीं होते जिन्हें कहीं भी टपक पड़ने का शौक़ होता है बल्कि जज़्बात की शिद्दत का आईना होते हैं जिन्हें ग़म और ख़ुशी दोनों मौसमों में संवरने की आदत है। किस तरह इश्क आंसुओं को ज़ब्त करना सिखाता है और कब बेबसी सारे पुश्ते तोड़ कर उमड आती है आईए जानने की कोशिश करते हैं आँसू शायरी के हवाले सेः

सितारों से शब-ए-ग़म का तो दामन जगमगा उठ्ठा

मगर आँसू बहा कर हिज्र के मारों ने क्या पाया

फ़ारूक़ बाँसपारी

नासेह ने मेरा हाल जो मुझ से बयाँ किया

आँसू टपक पड़े मिरे बे-इख़्तियार आज

दाग़ देहलवी

यूँ चश्म-ए-तर से चेहरे पर आँसू हुए रवाँ

दरिया से जैसे लावे कोई नहर काट कर

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

जो बात हिज्र की आती तो अपने दामन से

वो आँसू पोंछता जाता था और मैं रोता था

नज़ीर अकबराबादी

मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं

फिर उस के बाद गहरी नींद सोना चाहता हूँ मैं

फ़रहत एहसास

खुल के रोने की तमन्ना थी हमें

एक दो आँसू निकल कर रह गए

सूफ़ी ग़ुलाम मुस्ताफ़ा तबस्सुम

अश्कों के टपकने पर तस्दीक़ हुई उस की

बे-शक वो नहीं उठते आँखों से जो गिरते हैं

नूह नारवी

ये बे-सबब नहीं आए हैं आँख में आँसू

ख़ुशी का लम्हा कोई याद गया होगा

अख़्तर सईद ख़ान

आरज़ू हसरत और उम्मीद शिकायत आँसू

इक तिरा ज़िक्र था और बीच में क्या क्या निकला

सरवर आलम राज़

मोहब्बत में इक ऐसा वक़्त भी दिल पर गुज़रता है

कि आँसू ख़ुश्क हो जाते हैं तुग़्यानी नहीं जाती

जिगर मुरादाबादी

वैसे तो इक आँसू ही बहा कर मुझे ले जाए

ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता

वसीम बरेलवी

और कुछ तोहफ़ा था जो लाते हम तेरे नियाज़

एक दो आँसू थे आँखों में सो भर लाएँ हैं हम

मीर हसन

उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं

ये मोतियों की तरह सीपियों में पलते हैं

बशीर बद्र

नज़र बचा के जो आँसू किए थे मैं ने पाक

ख़बर थी यही धब्बे बनेंगे दामन के

आरज़ू लखनवी

ब-क़द्र-ए-ज़ौक़ मेरे अश्क-ए-ग़म की तर्जुमानी है

कोई कहता है मोती है कोई कहता है पानी है

फ़िगार उन्नावी

शबनम ने रो के जी ज़रा हल्का तो कर लिया

ग़म उस का पूछिए जो आँसू बहा सके

सलाम संदेलवी

ग़ैर से खेली है होली यार ने

डाले मुझ पर दीदा-ए-ख़ूँ-बार रंग

इमाम बख़्श नासिख़

ये आँसू बे-सबब जारी नहीं है

मुझे रोने की बीमारी नहीं है

कलीम आजिज़

दामन से वो पोंछता है आँसू

रोने का कुछ आज ही मज़ा है

मोहसिन काकोरवी

दो घड़ी दर्द ने आँखों में भी रहने दिया

हम तो समझे थे बनेंगे ये सहारे आँसू

हकीम नासिर

अब अपने चेहरे पर दो पत्थर से सजाए फिरता हूँ

आँसू ले कर बेच दिया है आँखों की बीनाई को

शहज़ाद अहमद

दम-ए-रुख़्सत वो चुप रहे 'आबिद'

आँख में फैलता गया काजल

सय्यद आबिद अली आबिद

बिछड़ते वक़्त ढलकता गर इन आँखों से

इस एक अश्क का क्या क्या मलाल रह जाता

जमाल एहसानी

मिरे अश्क भी हैं इस में ये शराब उबल जाए

मिरा जाम छूने वाले तिरा हाथ जल जाए

अनवर मिर्ज़ापुरी

देख कि मेरे आँसुओं में

ये किस का जमाल गया है

अदा जाफ़री

मुद्दत के बा'द उस ने जो की लुत्फ़ की निगाह

जी ख़ुश तो हो गया मगर आँसू निकल पड़े

कैफ़ी आज़मी

कितनी फ़रियादें लबों पर रुक गईं

कितने अश्क आहों में ढल कर रह गए

सूफ़ी ग़ुलाम मुस्ताफ़ा तबस्सुम

रोक ले ज़ब्त जो आँसू कि चश्म-ए-तर में है

कुछ नहीं बिगड़ा अभी तक घर की दौलत घर में है

अहसन मारहरवी

कूज़ा जैसे कि छलक जाए है भर जाने पर

कोई आँसू ही बहा दे मिरे मर जाने पर

अमृतांशु शर्मा

मैं जो रोया उन की आँखों में भी आँसू गए

हुस्न की फ़ितरत में शामिल है मोहब्बत का मिज़ाज

अनवर साबरी

बहता आँसू एक झलक में कितने रूप दिखाएगा

आँख से हो कर गाल भिगो कर मिट्टी में मिल जाएगा

अहमद मुश्ताक़

रसा हों या हों नाले ये नालों का मुक़द्दर है

'हफ़ीज़' आँसू बहा कर जी तो हल्का कर लिया मैं ने

हफ़ीज़ मेरठी

मुस्काती आँखों में अक्सर

देखे हम ने रोते ख़्वाब

अफ़ज़ल हज़ारवी

पलकों की हद को तोड़ के दामन पे गिरा

इक अश्क मेरे सब्र की तौहीन कर गया

अज्ञात

फिर मिरी आँख हो गई नमनाक

फिर किसी ने मिज़ाज पूछा है

असरार-उल-हक़ मजाज़

पहले नहाई ओस में फिर आँसुओं में रात

यूँ बूँद बूँद उतरी हमारे घरों में रात

शहरयार

एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है

तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना

मुनव्वर राना

घास में जज़्ब हुए होंगे ज़मीं के आँसू

पाँव रखता हूँ तो हल्की सी नमी लगती है

सलीम अहमद

जो आग लगाई थी तुम ने उस को तो बुझाया अश्कों ने

जो अश्कों ने भड़काई है उस आग को ठंडा कौन करे

मुईन अहसन जज़्बी

इस क़दर रोया हूँ तेरी याद में

आईने आँखों के धुँदले हो गए

नासिर काज़मी

डूब जाते हैं उमीदों के सफ़ीने इस में

मैं मानूँगा कि आँसू है ज़रा सा पानी

जोश मलसियानी

थमे आँसू तो फिर तुम शौक़ से घर को चले जाना

कहाँ जाते हो इस तूफ़ान में पानी ज़रा ठहरे

लाला माधव राम जौहर

जब भी दो आँसू निकल कर रह गए

दर्द के उनवाँ बदल कर रह गए

सूफ़ी ग़ुलाम मुस्ताफ़ा तबस्सुम

अश्कों के निशाँ पर्चा-ए-सादा पे हैं क़ासिद

अब कुछ बयाँ कर ये इबारत ही बहुत है

अहसन अली ख़ाँ

थमते थमते थमेंगे आँसू

रोना है कुछ हँसी नहीं है

बुध सिंह कलंदर

आँसू मिरी आँखों में हैं नाले मिरे लब पर

सौदा मिरे सर में है तमन्ना मिरे दिल में

बेखुद बदायुनी

मिरी रूह की हक़ीक़त मिरे आँसुओं से पूछो

मिरा मज्लिसी तबस्सुम मिरा तर्जुमाँ नहीं है

मुस्तफ़ा ज़ैदी

आज तो ऐसे बिजली चमकी बारिश आई खिड़की भीगी

जैसे बादल खींच रहा हो मेरे अश्कों की तस्वीरें

मुकेश आलम

यूँ तो अश्कों से भी होता है अलम का इज़हार

हाए वो ग़म जो तबस्सुम से अयाँ होता है

मक़बूल नक़्श

मेरी इक उम्र और इक अहद की तारीख़ रक़म है जिस पर

कैसे रोकूँ कि वो आँसू मिरी आँखों से गिरा जाता है

फ़रहत एहसास
बोलिए